श्री गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa

श्री गायत्री चालीसा | गायत्री चालीसा हिंदी पीडीएफ

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गायत्री चालीसा पीडीएफ – हिन्दी अनुवाद शामिल – हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा गया है सभी वेदों की उत्पत्ति से है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की उत्पत्ति कहा जाता है। इस घड़ी में उपयोगी है। धर्म में बदलने के लिए यह लिखा गया है कि टाइप करने के लिए मनोभावपूर्ण मनोभावों को भी टाइप किया जाएगा।

गोत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन और ब्रह्मव्रक्रस के सात अथर्ववेद में शामिल थे, जो लॉग इन होते हैं. विधायिका की बगासन के आसपास एक रक्षक कोच का निर्माण व विपत्तियों के समय की रक्षा के लिए।

श्री गौत्री चालीसा पीडीएफ – हिन्दी अनुवाद सहित

दोहा

ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड।
शांति कान्ति सृष्टि
जगत जननी मगल करनी गायत्री सुखधाम।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाध्याय कार्य॥

हिन्दी अनुवाद:- हे माँ गायत्री आप शिव की तरह कल्याणकारी हैं इसलिए दुखों का हरण, आप मेरी दरिद्रता को विशेषता हैं, हे माँ दरिद्रता को: हे मैमा हे माता जीवन में नम्रता से कृपा करें। आप ही शांति में हैं, आप ही बदलाव हैं, जागरण, विकास व सृजन की अखंड शक्ति हैं। हे माँ गायत्री आप के पवित्र स्थल हैं, आप इस संसार की जननी भी हैं। स्मृति स्मृति, ध्यान दें, पूरी तरह से ठीक हो जाने के लिए ठीक होना चाहिए।

चौपाई

भूर्भुवः स्वः यत जननी। गायत्री नित कलिमल चूल्हा दहन
अक्षर चौविश परम पुनीता। जीन्स बसें शास्त्र श्रुति गीता॥
मौसम सतोगुणी सत रूप। सत्य सनातन सुधा अनूपा॥
हंसारूढी श्वेताम्बर धारी। स्वर्ण कान्ति शुचि गगन-बिहारी॥
बुक पुष्प कमण्ड मलिक। शुभ वर्ण तनु नयन विशाला॥

हिन्दी अनुवाद:- हे प्राणस्वरूप प्राकृतिक सुखरूप गौत्री माँ के साथ खतरनाक लोकों की जननी आप ही हैं। हे गौत्री माँ इस कलियुग में काम करते हैं। आपके (गायत्री मंत्र) के 24 सबसे खतरनाक हैं ( इन चौबीस में सभी वेद शास्त्र श्रुतियों और गीता का ज्ञान समाया है। सदा से सतोगुणी सत्य का. आप हमेशा के लिए अमर हैं। आप शवेत वस्त्रों को धारन कर हंस पर सवार हैं, आप के पास्तिट अगकी चमक स्वर्णनो सोने की ओरह पवित्रीकरण हिरण हैं और आकाश में भ्रमण करती हैं। आपके पास बुक, फूल, कमण्डल और आपके तन का रंग श्वेत है और आपकी बड़ी बड़ी आखें बहुत सुंदर हैं।

ध्यान धरत पुल्कित हिय होई। सुखी सुख दुख दुर्मति खोई
कामधेनु तुम सुर तरु श्वेत। निराकार की अविश्वसनीय माया॥
तुम्हरे शरण गाहै जो कोई भी। तर सकल संकट सों सोई॥
सरस्वती लक्ष्मी काली। दिपैयरे की ज्योतिर्लिंग निराली॥
तुम्हरे महिमा परावर्तन। जो शारद शत मुख गुन गावैं॥

हिन्दी अनुवाद:- हे माँ गायत्री नोटा धरते ही हृदय अति आनंदित होने के कारण, रोग और दुर्बुद्धि का नाश सूखे की तरह ऐसा होता है। हे माँ कामदनव गोओं की तरह, पूर्ण मनोकामनाओं की तरह, देववृक्ष कल्पतरु की समान सुखी हैं। आप निराकार की अविश्वसनीय माया हैं। संकट में पड़ने वाले व्यक्ति को भी परेशानी होती है। आप सरस्वती, लक्ष्मी और काली का स्वरूप। आपकी दीप्त ज्योति सबसे निराली है। यह प्रकृति के गुणों को भी सुधारता है।

चार वेद की मात पूनीता। तुम ब्रह्माणी गौरी सीता॥
महामन्त्री जैज माहीं। कोउ गायत्री सम नहीं॥
सुमित हिय में ज्ञान विज्ञान। अलस पाप अविद्या नासिक
रोग बीज जग जननी भवानी। कालरात्रि वरदा कल्याणी

हिन्दी अनुवाद:- हे माँ ही वेदों की जननी हैं, आप ही माँ पार्वती हैं, आप ही माँ सीता हूँ। संसार में भी मंत्र हैं, कोई भी गायत्री मंत्र इसी तरह की गायत्री मंत्र है। आपके मंत्र का स्मृति चिन्ह ही ज्ञान का प्रकाश होगा व आलस्य, पप व अविद्या स्मृति का नाश है। आप ही सृष्टि का बीज मंत्र हैंगा को जन्मा देने वे कहें भवानी भी आप हैं, अतिंम समुजी में क्यूर्यण भी हे होत्री मन्प ही होरती हैं।

ब्रह्म विष्णु रुद्र सुर जेते। सों पावेन सुरता तेते॥
तुम भक्तन के भक्त। जननिहिंदू प्रोन प्राणते प्रेमि
महिमा पर्व। जय जय त्रिपदा भय्य
पुरित सकल ज्ञान विज्ञान। तुम सम अधिक नजमे आना॥
अंग्रेजी जानी कछुरा है न बाकी। तुम्ही कोछु रहोगे न कलेश
जंतं. पारस परसी कुधातु सुहाई
तुम्हरी शक्ति दिपै सबठाई। माता तुम सब ठौर समाई॥

हिन्दी अनुवाद:- ब्रह्म, विष्णु और शिव के साथ-साथ भी देवी देवता, सभी ईश्वरत्व प्राप्त हैं। जो भक्त भक्त हैं, आप हमेशा साथ रहते हैं। जिन माँओं को अपनी संतानों से प्राणों से मिलते हैं, वे भी अपने भक्त प्राणों से प्रेम करते हैं। आपकी महिमा तोपरंपार है। हेपदा (भु:, भुव:, स्व:) भय का हरण करने वाली गायत्री माता आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आपने संसार में ज्ञान और विज्ञान की अलखी सुरक्षा के बुद्धिमान ज्ञान विज्ञान ज्ञान आप ही पिरोए हैं। संपूर्ण ग्रह में भी श्रेष्ठ है। शेष शेष शेष बचे हुए, शेष बचे हुए, अन्य किसी भी प्रकार के कल्याश में शेष रहते थे। . शक्ति हर और आलोकित है, प्रकाशमान हैं, आप सर्व त्रैत्री हैं।

ग्रह ब्रह्माण्ड रेंकरे। सब रफ्तार वन
स्वास्थ्य की देखभाल प्राण विधाता। पालक पौष्टिक नास्ता॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी। तुम सन तार पातकी ग्रेटी
जापर कृपाण विवाह करना। कृपा कृपा करें

हिन्दी अनुवाद:- ब्रह्मंद में बहुत सारा ग्रह है, संबद्ध हैं ये सबपकी प्रेरणा, आप केपपा, आपके का क्रमण बी गतरी हैं। ️ समस्त️ समस्त️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️! शरीर से पालन-पोषण करना भी खराब हो रहा है। घंटा कहका वतन धारण करने के वालों पर आप दया करती हैं जिस पर भी आप के लिए होती है उस पर सबी कूपा करते हैं।

मन्द बुद्धि ते बूढ़ी बल पावेन। रोग रोग रहित
दरिद्र मित्तर कटै सब पीरा। नाशे दुख हरै भवरा॥
होम कल्याश चिंता ग्रेटा। नासा गायत्री भक्षण
सन्तति हीन सुसंति पावेन। सुख संपति मोड प्रबंधन॥
भूत पिशाच सबाई खावें। यम के निकटवर्ती नहिं आवें॥
जो साधा सुमिरें चिट लाई। अछत सुहाग सदाबहार सुखदायक॥
घर वर सुख परिवार लहैं कुमारी। विद्वेष सत्य व्रत धारी

हिन्दी अनुवाद:- हे माँ गायत्री आपकी बुद्धि, बुद्धि बल आदि दूर है। दरिद्रता के साथ-साथ सभी प्रकार की जांच कर रहे हैं। आपके जप से ही भयानक युद्ध का नाश हो, आप हर प्रकार के भय का हरण कर रहे हैं। यति कीसी के और में अशांत रहती है, ओगड़े होते हैं वे रहते हैं, गायत्री मंत्र उत्तरने से उसके संगत भी कपड़ा जागते हैं। संतान स्वस्थ भी अच्छी तरह से समृद्ध होते हैं। I सुहागिन हमेशा स्वस्थ रहता है, सदा सुखी रहता है। जो कुवांरियां दिमागी तौर पर ठीक हो जाती हैं। आपके जाप से सत्य व्यवहार करने की शक्ति है।

जयति जयति जगदम्ब भवानी। तुम सम ओर दयाल नदानी
जो सगुरु सो दीक्षा पावे। सो सेवा को सपेस बना
सुमिरन करे सुरूचि बडभागी। लहै मनोरथ होम विरागी॥

हिन्दी अनुवाद:- हे मां जगदंबे, हे माता भवानी आपकी जय हो, आपकी जय हो। आपके समान और दूसरा कोई भी दया व दिवस नहीं। जो गुरु से दीक्षा प्राप्त करें अपने जप से अपने स्वयं के खाते में रखें। आपका घर से सैंटासी तक हर व्यक्ति के लिए मनोभावों.

अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता। सब समर्थ गायत्री माता॥
ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी। आरत अर्थी चिन्तित भोगी॥
जो जो शरणागति को समाप्त कर रहा है। सो सो मन फल पावें
बल बुधि विद्या शील स्वभाउ। धन वैभव यश तेजो
घास नाना। जे यह पाठ करै धारी ध्याना

हिन्दी अनुवाद:- हे गायत्री माँ, आप हर मनोकामना को पूरा करने में सक्षम हैं। ऋषि, मुनि, यति, तापवी, योगी, गरीब, या फिर चिंतित होने की वजह से ऐसा नहीं होता है। जो भी अच्छी तरह से संतुलित हो, बुद्धि, विद्या, गुण जैसे गुणी, गुणी हो, में तेज हो। .

दोहा

यह निष्क्रियता पाठ करै जो कोई भी है।
टैप कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय॥

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श्री गौत्री माता पूजा विधि PDF

  • इस दिन गंगाजल जल से स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य। गायत्री मंत्र का कम से कम 5 बार जाप करें।
  • इसके தி்ி்் उनकीி उनकी் उनकीி प्रतिमा் प्रतिमा் अथवा் अथवा்்ி்ி फल்்ி்்ி்ி்்ி்்்்்ி்்்்ி்்ி்்்ி்்ி்்
  • उत्सव मनाएं।

श्री गायत्री जी की आरती

जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत्ता मार्ग पर चलाओ,
जो है सुखदाता
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री।
ख शोच, भय, कलश कलश दारिद्र दैत्य हत्री ॥
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

ब्रह्म रूपी, प्रणत पालिन जगत धात्र अम्बे ।
भव भेदी, जनहितकारी, सुखदायक जगदम्बे ॥
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

भयिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनंद राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, आमे, अविनाशी
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

कामधेनु सतचित आनंद जय गंगा गीता।
सविता की ताकत, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे।
कुंडलिनी सहस्त्रा सुषुमन शोभा गुणी
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

जननी हम दीन-विहीन, ख-दरीद्र के दुर्दम्य।
यदपि कुटिल, कपटी कपाट तौबा बाल हैं तेरे
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

स्नेहसनी करुणामयी चरण शरण दी जै।
विलख हम स्वास्थ्य सुत देखभाल की दृष्टि ॥
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हर..
को शुद्ध पापाप हृदय मन पवित्र करिये
मैं जयति जय गायत्री माता..॥

जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत्ता मार्ग पर चलाओ,
जो है सुखदाता

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